Sunday, October 26, 2025
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नारी शक्ति का करे सम्मान ,तभी देश बनेगा महान। शांति थवाईत

आज 8 मार्च को विश्व महिला दिवस के अवसर पर सभी महिलाओ को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ।महिला दिवस कहने मात्र से ही आभास हो जाता है कि आज का दिन सभी महिलाओ को समर्पित है ।हमारे देश मे आदिकाल से ही महिलाओ को सम्मान दिया जाता रहा है ।समय के साथ आगे बढते हुए आज हम जिंदगी के वो रास्ते पर खडे है जहां महिलाएं हर क्षेत्र मे पुरुषो के साथ कंधे से कंधे मिलाकर चल रही है ।महिलाओ की भागीदारी राष्ट्रपति जैसे पदो पर सुशोभित है तो वही शिक्षक ,डाक्टर इंजीनियर ,कवियित्री ,लेखिका ,नायिका ,आदि क्षेत्रो मे है ।महिलाएं घर ,खेत ,खलिहान ,मजदूरी आदि मे भी अपना योगदान दे रही है ।
महिलाएं समाज की ऋण है ।वे न केवल परिवार की देखभाल करती है बल्कि प्रत्येक जगह अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही है ।एक मां के रुप मे वे संतान को संस्कार देती है ,एक बहन के रुप मे स्नेह बांटती है,एक पत्नी के रुप मे सहारा बांटती है और एक बेटी के रुप मे परिवार की शान होती है!
महिला दिवस केवल एक दिन नही वास्तव मे देखा जाए तो एक सोच है ।सोच महिलाओ को अधिकार देने की ,सोच महिलाओ को समानता देने की ,महिलाओ के गरिमा को बनाए रखने की ।
महिलाओ को ईश्वर ने कुछ ऐसे विशेष गुणो से नवाजा है ,जिसके कारण वो पुरुषो से अलग होती है ।महिलाओ को ही बच्चे को अपनी कोख मे रखने का वरदान है इसी विशेषता के कारण महिलाओ के अंदर ,दया,प्रेम,सामंजस्य बना के चलना जैसे गुणो का विकास नैसर्गिक रुप से होता है ।
इस सबके बीच एक अहम बात यह है कि महिलाओ को आगे बढाने मे पुरुषो का विशेष योगदान होता है ।कहा जाता है कि हर सफल पुरुष के पीछे एक स्त्री का हाथ होता है, मेरा यह मानना है कि एक सफल स्त्री के पीछे एक पुरुष का हाथ होता है ।महिलाओ मे प्रतिभाओ की कमी नही होती है ,लेकिन जब उसकी प्रतिभा निखारने मे पुरुष सहयोग करे तो उसे आगे बढने मे कोइ रुकावट नही आती है ।
वर्तमान समय मे महिला सशक्तिकरण हर जगह दिखाई देता है लेकिन कुछ ऐसी घटनाएं हमे विचलित कर जाती है ,जहां महिलाओ के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है ,महिलाओ को भोग की वस्तु समझता है ।हम जिस समाज मे रहते है वहां दो तरह के दूश्य दिखाई देते है ।पहला जहां महिलाएं सफल होकर निरंतर आगे बढ अपना परचम लहरा रही है ।दूसरा ऐसी महिलाएं जो आज भी घर की चारदीवारी मे गुमनामी जीवन जी रही है ।जिनके अंदर प्रतिभा रहते हुए उन्हे बाहर आने का मौका नही मिलता है ।
बात अंर्तराष्टीय महिला दिवस की हो तो पूरे विश्व की महिलाओ की स्थिति का आंकलन करना चाहिए ।इस आंकलन मे यदि हम औसत निकाले तो महिलाएं आज भी पुरुषो से काफी पीछे है ।जिन देशो मे पितृसत्तात्मक प्रधान परिवार है वहां महिलाओ पर पूरी तरह से प्रतिबंध होता है अफगानिस्तान का ही हम उदाहरण ले सकते है जहां तालिबान सरकार जब से सत्ता चला रही है वहां महिलाओ पर हर प्रकार से प्रतिबंध लग चुका है ,पढने के अधिकार,घूमने की आजादी ,रहने खाने पीने,पहने ओढने आदि की आजादी छिन ली गयी है ।यह तो एक देश है और न जाने कितने देश होगे जहां इस प्रकार के प्रतिबंध महिलाओ के ऊपर लगाए गये है ।
जब तक ऐसी परिस्थिति देखने सुनने को मिलेगी ,अंर्तराष्टीय महिला दिवस मनाना फीका ही रहेगा ।हम खुशनसीब है कि हम ऐसे देश मे जन्म लिए है जहां महिलाओ को आगे बढने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है ।यह प्रोत्साहन चाहे कानूनी हो ,सामाजिक हो ,या पारिवारिक हो ।इसलिए कहा गया है कि नारी शक्ति का करे सम्मान ,तभी बनेगा देश महान ।

श्री मती शांति थवाईत व्याख्याता शा उ मा वि कुरदा

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