Sunday, October 26, 2025
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न्याय के भरोसे लौटी मुस्कान! गरियाबंद से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने इंसानियत और प्रशासनिक संवेदनशीलता दोनों की मिसाल पेश की है।

न्याय के भरोसे लौटी मुस्कान! गरियाबंद से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने इंसानियत और प्रशासनिक संवेदनशीलता दोनों की मिसाल पेश की है।

अपनी ही ज़मीन पर कथित अवैध कब्ज़े के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठे एक बुजुर्ग दंपत्ति को आखिरकार मिला न्याय का भरोसा। सुबह से मौन धरने पर बैठे बुजुर्गों की फरियाद जब प्रशासन तक पहुँची — तो संवेदनशीलता से हुई त्वरित कार्रवाई ने उनके चेहरे पर लौटा दी मुस्कान।

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कलेक्टोरेट के बाहर बैठे बुजुर्ग दंपत्ति के दृश्य हाथों में तख्ती — “मेरी जमीन पर कोई और मकान बना रहा है…” सुबह के सात बजे थे… गरियाबंद जिला मुख्यालय के सामने कलेक्टोरेट गेट के पास एक बुजुर्ग दंपत्ति तख्ती लेकर मौन बैठे थे। तख्ती पर लिखा था — “मेरी जमीन पर कोई और मकान बना रहा है, अगर न्याय नहीं मिला तो दे दो मृत्यु की अनुमति।” यह मार्मिक दृश्य जिसने भी देखा, रुक कर पूछने लगा कि आखिर क्या मामला है।
दरअसल, ये ग्राम पीपरहट्ठा निवासी खमतूराम नायक और उनकी पत्नी थे, जो अपनी पुश्तैनी ज़मीन पर हो रहे कथित अवैध कब्ज़े से परेशान होकर प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहे थे।

खमतूराम नायक (पीड़ित)
“सालों से हमारी जमीन पर कोई और मकान बना रहा है… कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब हम न्याय चाहते हैं।” मामला सामने आते ही प्रशासन ने तुरंत संज्ञान लिया। एसडीएम छुरा ऋषा ठाकुर खुद मौके पर पहुँचीं, दंपत्ति से बातचीत की और भरोसा दिलाया कि आज ही सीमांकन कराकर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन की इस संवेदनशील पहल के बाद आखिरकार दंपत्ति के चेहरे पर मुस्कान लौट आई। करीब एक घंटे के भीतर उन्होंने अपना धरना समाप्त कर घर लौटने का फैसला लिया।

एसडीएम छुरा ऋषा ठाकुर
“हमने तत्काल टीम भेजकर सीमांकन की प्रक्रिया शुरू कराई है। जो भी अवैध कब्ज़ा होगा, उसे नियमानुसार हटाया जाएगा। बुजुर्ग दंपत्ति को न्याय मिलेगा।”

यह घटना एक बार फिर साबित करती है — जब आवाज़ सच्चाई की हो और प्रशासन संवेदनशील हो, तो न्याय देर से ही सही… लेकिन मिलता ज़रूर है।

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