छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में भाजपा के पूर्व सांसदों, कमला पाटले और गुहाराम अजगले की तस्वीरें चुनावी पोस्टरों से गायब हो गई हैं, जिससे राजनीतिक हलकों में एक नई चर्चा का विषय बन गया है। जिले के जांजगीर और चांपा नगरपालिकाओं के प्रमुख सड़कों पर लगे बड़े-बड़े होल्डिंग बोर्ड्स पर से इन दोनों नेताओं की तस्वीरें हटा दी गई हैं, जबकि अन्य भाजपा नेताओं के पोस्टर और होल्डिंग्स से उनके चेहरे स्पष्ट रूप से नजर आ रहे हैं।
यह घटनाक्रम भाजपा के भीतर राजनीतिक समीकरणों और मतदाताओं के बीच संदेश भेजने की रणनीति को लेकर सवाल खड़े कर रहा है। जहां एक ओर पार्टी के स्थानीय नेताओं का दावा है कि यह केवल एक प्रशासनिक गलती हो सकती है, वहीं विपक्षी दलों का कहना है कि यह पार्टी द्वारा पूर्व सांसदों को राजनीति से हाशिए पर डालने की रणनीति हो सकती है। भाजपा के कार्यकर्ता इसे एक संकेत मानते हैं, जिसका उद्देश्य उन नेताओं को प्रचार में जगह देने से इंकार करना हो सकता है जिन्होंने पार्टी के लिए पिछले चुनावों में अपेक्षित परिणाम नहीं दिए।
पूर्व सांसद कमला पाटले और गुहाराम अजगले दोनों ही भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे हैं, जिनका जिले के विभिन्न हिस्सों में प्रभाव रहा है। पाटले और अजगले के चुनावी पोस्टरों से गायब होना यह दर्शाता है कि भाजपा अब एक नई राजनीतिक दिशा में आगे बढ़ने का विचार कर सकती है। यह घटना पार्टी के भीतर अंतर्कलह की ओर इशारा करती है, जो आगामी चुनावों के दृष्टिकोण से अहम हो सकती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम भाजपा की ओर से चुनावी मैदान में नया संदेश देने का एक तरीका हो सकता है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि पार्टी इस फैसले के पीछे की असली वजह क्या है। इस घटनाक्रम के बाद, जांजगीर-चांपा जिले में भाजपा के अंदरूनी राजनीति और आगामी चुनावी रणनीतियों पर चर्चा तेज हो गई है।