Monday, June 16, 2025

दतिया के राजा राहुल देव सिंह का जांजगीर आगमन: सनातन धर्म पर हुई गहन चर्चा

जांजगीर-चांपा, 16 जून। अपने अल्प प्रवास के दौरान दतिया के यशस्वी राजा राहुल देव सिंह का प्रथम बार जांजगीर आगमन हुआ। इस ऐतिहासिक अवसर पर उनका आत्मीय स्वागत किया गया। श्री सिंह ने अपने प्रवास के दौरान प्रसिद्ध हस्तरेखा विशेषज्ञ डॉ. राजेन्द्र शर्मा के निवास पर सौजन्य भेंट की। इस भेंट में सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार को लेकर विस्तृत विचार-विमर्श हुआ।

राजा राहुल देव सिंह ने बताया कि राजतिलक के उपरांत वे समाज में व्याप्त अंधविश्वास और रूढ़ियों के खिलाफ निरंतर कार्य कर रहे हैं। उनका उद्देश्य सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति और सभ्यता को वैश्विक मंच पर स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म की गहराई और उसके रहस्यों को समझने की आवश्यकता है, ताकि नई पीढ़ी भी अपने मूल से जुड़ सके।

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श्री सिंह ने इस दौरान खुलासा किया कि वे “अखिल ब्रह्मांड नायक भगवान श्रीराम” पर शोध कार्य कर चुके हैं। उनका यह शोध धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिससे भगवान राम के आदर्शों को आधुनिक समाज में पुनः स्थापित किया जा सके।

अपने प्रवास के दौरान श्री सिंह राणी सती दादी के मंदिर भी पहुंचे, जहां उन्होंने दर्शन कर क्षेत्र की सुख-समृद्धि की कामना की। मंदिर में उपस्थित भक्तों के बीच उनकी उपस्थिति विशेष आकर्षण का केंद्र रही। मंदिर के प्रधान सेवक महेंद्र मित्तल, जिला पंचायत सदस्य राजकुमार साहू, यज्ञाचार्य अमित मिश्रा एवं अन्य श्रद्धालु इस शुभ अवसर पर उपस्थित रहे।

राजा राहुल देव सिंह ने इस अवसर पर हस्तरेखा विशेषज्ञ डॉ. राजेन्द्र शर्मा द्वारा ज्योतिष के माध्यम से किए जा रहे लोक कल्याणकारी प्रयासों की सराहना की। उन्होंने डॉ. शर्मा के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे विद्वानजन समाज में मार्गदर्शन का कार्य कर रहे हैं, जो अत्यंत प्रशंसनीय है।

पूरे कार्यक्रम के दौरान धार्मिक भावनाओं और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना स्पष्ट रूप से परिलक्षित हुई। यह भेंट न केवल आत्मिक स्तर पर एक महत्वपूर्ण संगम रही, बल्कि आने वाले समय में सनातन धर्म के उत्थान हेतु एक नई दिशा प्रदान करने वाली सिद्ध हो सकती है।

इस भेंट से यह भी स्पष्ट हुआ कि राजा राहुल देव सिंह केवल एक पारंपरिक राजा नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी चिंतक हैं, जो संस्कृति, धर्म और समाज के समन्वय से भारत के मूलभूत दर्शन को पुनर्जीवित करने हेतु प्रयासरत हैं। जांजगीर-चांपा की धरती पर उनका यह आगमन निश्चित रूप से एक प्रेरक क्षण के रूप में याद किया जाएगा।

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